छिपकली मारना पाप या पुण्य। छिपकली को हिंदू धर्म में मारने से मना किया गया है। छिपकली को मारना पाप माना जाता है। कहा जाता है कि छिपकली को मारने से इसका कर्मफल अगले जन्मों में भुगतना पड़ता है। छिपकली इंसान और भगवान के बीच संवाद का एक जरिया होती है, ऐसा कहा जाता है। छिपकली को माता लक्ष्मी का भी रूप माना जाता है।
जिस घर में छिपकली का वास होता है वहां पर माता लक्ष्मी का निवास माना गया है। ऐसा माना जाता है कि छिपकली के रूप में भगवान अपने भक्तों से मिलने आते हैं। वैसे तो भगवान अपने भक्तों से अलग-अलग रूपों में मिलने आते हैं लेकिन के रूप में भक्तों से मिलने आते हैं ऐसा माना जाता है। छिपकली को भगवान का दूत माना गया है।
कुछ घरों यह भी विश्वास किया जाता है कि छिपकली के रूप में उनके पूर्वज उनके घर में रहते हैं। छिपकली व्यक्ति के जीवन में आने वाले अच्छे और बुरे दिनों का संकेत देती हैं। अलग-अलग जगहों पर छिपकली का गिरना और अलग-अलग जगहों पर छिपकली का आवाज निकालना भी कई शुभ-अशुभ संकेतों और आने वाले अच्छे-बुरे समय की ओर इशारा करता है।
कई मंदिरों में छिपकली की पूजा भी की जाती है। श्री रंगम रंगनाथ स्वामी मंदिर में दीवारों पर छिपकली का चित्र भी बनाया गया है। माना जाता है कि मंदिर में दर्शन को आने श्रद्धालु यदि इन छिपकलियों के दर्शन करता है तो भगवान के दर्शन का फल दोगुना हो जाता है।
कांचीपुरम के एक मंदिर में छिपकली के चित्र को मंदिर में उकेरा गया है। कांचीपुरम के वर्दराज स्वामी मंदिर के गर्भगृह के बगल में एक खास जगह पर छिपकली के चित्र बने हैं। यह छिपकली सोने और चांदी की हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में भगवान के दर्शन तबतक पूरा नहीं तो जबतक आप इन छिपकलियों के दर्शन नहीं करते। कहा जाता है कि यह दोनों छिपकलियाँ गंधर्व थे, जिन्हें छिपकली बनने का श्राप मिला था।