इस साल वट सावित्री पूजा 19 मई को मनाया जा रहा है। जेष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत का दिन बन रहा है। इस व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। इसलिए इसे बरगदी अमावस्या भी कहा जाता है।
वट सावित्री व्रत महिलाओं द्वारा किया जाता है। यह पूजा पति की लंबी आयु के लिए और दांपत्य जीवन में सुखी रहने के लिए किया जाता है। शादीशुदा महिलाएं वट सावित्री की पूजा खास तौर पर पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं और पूरे उत्तर भारत में यह पूजा जेष्ठ अमावस्या को मनाया जाता है। जबकि दक्षिण भारत में वट सावित्री व्रत पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।
वट सावित्री व्रत करने के दौरान कुछ बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। ऐसा करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। इसलिए व्रत के समय इन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। इससे व्रत सफल होता है और पति की आयु लंबी होती है।
वट सावित्री पूजा के दौरान ध्यान रखी जाने वाली बातें
1. वट सावित्री व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखते हैं तो इस दिन जीवन साथी के साथ वाद-विवाद या झगड़ा नहीं करना चाहिए। इस दिन पत्नी को पति के साथ हमेशा अच्छा व्यवहार रखना चाहिए।
2. व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस दौरान संबंध बनाने से बचना चाहिए तथा मांस-मदिरा और अन्य प्रकार की तामसिक भोजन का सेवन करने से भी बचना चाहिए। व्रत के दौरान पति-पत्नी दोनों में से किसी को भी तामसिक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
3. जिन महिलाओं ने व्रत रखा है, उन्हें गलत कार्यों को करने से बचना चाहिए। व्रत के दौरान अपने मन को हमेशा शांत रखना चाहिए और अपना वचन तथा कर्म में शुद्धता रखना चाहिए। तभी यह व्रत फलित होता है। व्रत के दौरान किसी भी व्यक्ति से घृणा या द्वेष नहीं रखें।
4. व्रत वाले दिन महिलाओं को काला, नीला और सफेद रंग के वस्तुओं का उपयोग अपने श्रृंगार या कपड़ों में नहीं करना चाहिए। इन रंगों की चूड़ी, साड़ी या बिंदी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
5. यह व्रत अखंड सौभाग्य के लिए किया जाता है। इसलिए व्रती को इस दिन सोलह सिंगार करना चाहिए। इसके लिए व्रत से पहले ही व्यवस्था कर लेना चाहिए। पढ़ें- सपने में काला कुत्ता देखना शुभ या अशुभ, जानें इन संकेतों को
6. व्रत वाले दिन महिलाओं को लाल, पीला या हरे रंग का उपयोग करना चाहिए। इन रंगों का उपयोग शुभ माना जाता है। लाल या पीली साड़ी, हरी चूड़ी, लाल बिंदी, महावर इत्यादि।
7. पति की लंबी आयु और संतान प्राप्ति के लिए वट वृक्ष की पूजा की जाती है। इस दिन यमराज से सावित्री को सौ पुत्रों की माता और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिला था। इसलिए वट सावित्री व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है।
8. पूजा के समय वटवृक्ष में कच्चा सूत 7 बार लपेटते हैं। 7 बार वटवृक्ष की परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत को लपेटा जाता है। इस व्रत का पारण भीगे चने खाकर किया जाता है।
9. पूजा करते समय आपको वट सावित्री कथा यानी सावित्री और सत्यवान की कथा सुननी चाहिए।
10. वट सावित्री पूजा खत्म होने के बाद माता सावित्री और वटवृक्ष से सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद लेना चाहिए।