हरिओम कुमार, मोतिहारी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार के मीडिया अध्ययन विभाग द्वारा ‘टीवी न्यूज पैकेजिंग एंड स्क्रिप्टिंग’ विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन बुधवार, 24 जून को हुआ। इस राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने सभी वक्ताओं का स्वागत करते हुए अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि मीडिया अध्ययन विभाग द्वारा आयोजित इस वेबीनार का विषय व्यवहारिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने अपनी जिज्ञासा वक्ताओं के समक्ष रखते हुए कहा कि सामान्य दर्शक के रूप में टीवी देखता हूं तो कई शब्दों, वाक्यों एवं समाचार की पुनरावृत्ति होती है। आजकल व्यापार आधारित टीवी पत्रकारिता हो गई है। नाटकीयता एवं कृत्रिमता इतनी होती है कि स्वाभाविकता एवं सहजता दूर दूर तक नहीं होती। भाषा भी छिन्न-भिन्न हो रही है। हमारा सारा न्यूज़ राजनीति केंद्रित है। टीवी पत्रकारिता दिल्ली, महानगर केंद्रित हो गई है। संप्रेषण का अंग अभिनय है लेकिन नाटकीयता इतनी अधिक है कि इसकी छवि नकारात्मक हो गई है।
संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए मीडिया अध्ययन विभाग के अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता प्रोफेसर अरुण कुमार भगत ने कहा कि आज के इस संगोष्ठी में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विद्वान व्यक्तित्व को सुनना हम सब के लिए गौरव की बात हैं। उन्होंने कहा कि न्यूज़ पैकेजिंग का तात्पर्य पूरी न्यूज़ को समग्रता के साथ प्रस्तुत करने की प्रक्रिया से है। दर्शकों की सारी जिज्ञासाओं को समेट ले वह न्यूज़ पैकेजिंग है। न्यूज पैकेजिंग का अर्थ चीन के सामान की तरह केवल बाहरी चमक-दमक नहीं बल्कि आंतरिक सौंदर्य है।
न्यूज़ स्टोरी की शुरुआत प्रभावशाली हो, यह स्क्रिप्ट की विशेषता मानी जाती है। दर्शक की जिज्ञासा को बनाए रखने की कौशलता को न्यूज़ स्टोरी कहते हैं। न्यूज़ स्टोरी कथात्मक हो। नई से नई सूचना देना भी महत्वपूर्ण है ताकि दर्शकों की रूचि बरकरार रहे। न्यूज़ पैकेजिंग में बैकग्राउंड म्यूजिक का भी अपना महत्व है। सहज और सरल वाक्य हो, दोहरापन कहीं से न आए। स्क्रिप्टिंग में इंग्लिश के कुछ वर्ड को हिंदी में लिया जाता है, जिससे यह हिंग्लिश हो जाता है। इससे हमें बचना चाहिए।
मुख्य अतिथि के तौर पर जी न्यूज, बिहार के संपादक स्वयं प्रकाश ने मीडिया के छात्रों से कहा कि न्यूज़ पैकेजिंग में 5W1H का फार्मूला आज भी कारगर है। अध्ययन अधिक करें। अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आ गया है। अब एंकरलेस चैनल आ गए हैं। कंटेंट के लिए क्रेडिबिलिटी का होना अनिवार्य है। समाचार हमेशा निष्पक्ष लिखें और निर्भीकता के साथ लिखें। उन्होंने छात्रों से कहा कि अपनी डायरी बनाएं और उसमें महत्वपूर्ण बातें, शब्दों, घटनाओं को लिख कर रखें।
एक रिपोर्टर के अंदर संवेदनशीलता, मानवता बेहद जरूरी है। किसी खबर का प्रमाण भी हो एवं परिणाम क्या हो इस पर भी ध्यान दें। जो हो रहा है, जो वास्तविकता है वही दिखाएं। अपने विचार न डालें। विचार के लिए संपादकीय होता है। छात्रों में सुनने की कला, बोलने की कला, पढ़ने की कला हो तब ही वह अच्छा स्क्रिप्ट लिख सकता है। इसके लिए अवेयरनेस जरूरी है। गलत एवं भ्रामक खबरों से बचें। पत्रकारों में काम के प्रति धैर्य एवं जुनून भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें महात्मा गांधी के विचार एवं भगवान कृष्ण के उपदेशों पर भी चिंतन करना चाहिए, इसमें नैतिकता का बोध होता हैं।
संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के तौर पर इंडिया न्यूज़, दिल्ली के एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर वैवभ वर्धन दुबे ने कहा कि न्यूज़ पैकेजिंग किताबी ज्ञान नहीं हैं। टीआरपी रिपोर्ट आने के बाद न्यूज़ पैकेजिंग बनाने वाले के विद्वता का आकलन होता है। क्षेत्रीय चैनल न्यूज पैकेजिंग में स्थानीय भाषा का चयन करते हैं। अच्छे भाषा शैली का होना बेहद जरूरी है। प्रेजेंटेशन का तरीका बदल रहा है। ड्रामा भी हो रहा है। यह ड्रामा टीआरपी के लिए किए जाते हैं। टीवी जर्नलिज्म ने कई सारे एथिक्स को तोड़ दिया है। पहले विजुअल्स एवं सूचना के आधार पर स्क्रिप्ट बनाया जाता था। लेकिन अब स्क्रिप्ट पहले बनाया जाता है और स्क्रिप्ट के अनुसार विजुअल्स सेट की जाती है।
संगोष्ठी में विशिष्ट वक्ता के तौर पर नोएडा से वरिष्ठ टीवी पत्रकार आदर्श कुमार ने कहा कि मीडिया के छात्रों में दो चीजों का होना आवश्यक है। पहला- सामान्य ज्ञान पर पकड़ और दूसरा- लिखने की कला। अगर ये दो चीजें हो तो यह माना जाता है कि मीडिया संस्थाओं में आपकी नौकरी पक्की है। कई चैनल में पैकेजिंग विभाग अलग होता है। पैकेजिंग का मुख्य अंग स्क्रिप्टिंग है। न्यूज स्क्रिप्टिंग में इंट्रो और पिछला हिस्सा दोनों महत्वपूर्ण हो। शुरुआत की विजुअल्स भी अच्छी हो।
कई बार न्यूज़ पैकेजिंग की शुरुआत बाइट से भी की जाती है, अगर बाइट महत्वपूर्ण हो। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि पूरी न्यूज़ पैकेजिंग में रोचकता बरकरार रहे। दोहराव से बचना चाहिए। स्क्रिप्ट के अनुसार विजुअल्स का होना जरूरी है। शब्द चयन भी जरूरी है। छात्रों के पास शब्द भंडार अधिक से अधिक हो एवं मीडिया छात्रों को साहित्य का अध्ययन अवश्य करना चाहिए क्योंकि कई बार रोचकता के लिए अलग हटकर शब्दों का चयन किया जाता है।
वेब संगोष्ठी का संचालन कर रहे महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एवं इस वेब संगोष्ठी के संयोजक डॉ. प्रशांत कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में देश के विभिन्न प्रांतों से सैकड़ों मीडिया छात्र, शोधार्थी एवं पेशेवर गूगल मीट से जुड़े थे। यह संगोष्ठी मीडिया छात्रों के लिए व्यवहारिक दृष्टिकोण से ज्ञानवर्धक रहा।
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग के सहायक प्रोफेसर एवं इस राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी के सह संयोजक डॉ. सुनील दीपक घोड़के ने धन्यवाद ज्ञापन एवं सभी वक्ताओं का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम में मीडिया अध्ययन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अंजनी कुमार झा, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. परमात्मा कुमार मिश्र, डॉ. साकेत रमण, डॉ. उमा यादव सहित अन्य विभागों के प्राध्यापक शोधार्थी एवं विद्यार्थियों ने सहभागिता किया।