महारष्ट्र में राज्य स्तर पर हुई स्केटिंग प्रतियोगिता में INDRS के स्केटर्स ने किया दमदार प्रदर्शन

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शालू मिश्रा अग्रवाल की रिपोर्ट – अभी हाल ही में कोल्हापुर में मिशन ओलम्पिक स्केटिंग चैंपियनशिप 2021-2022 प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों से आए स्केटरस् ने इसमें बढ़ चढ़ कर भाग लिया और दमदार प्रदर्शन किया। मुंबई स्थित INDRS (इंडिया रोलर स्केट्स) क्लब के कोच राज सिंह का कहना है कि “कोरोना काल के चलते बच्चों को अभ्यास करने का पर्याप्त समय नहीं मिल पाया, मगर इसके बावजूद बच्चों का प्रदर्शन देखकर बहुत खुशी हुई।” वो पिछले कई सालों से बच्चों को नेशनल और इंटरनेशनल के लिए खिलवाते आए हैं। हालाँकि, कोरोना के कारण बच्चों के अभ्यास में एक लंबा ब्रेक जरूर लगा। मगर बावजूद इसके उन्होंने अपने क्लब के बच्चों के हौंसले को बनाए रखा, इसके लिए उन्होंने घर पर ही रहते हुए उनके स्टेमिना को बनाए रखने के लिए जरूरी व्यायाम करवाए और ये सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक कि लॉकडाउन खुल नहीं गया।

उनका कहना है कि इस चैम्पियनशिप में उनके क्लब के 44 बच्चे इस चैम्पियनशिप के भागीदार रहे, जिसमें से 34 बच्चों का नेशनल लेवल के लिए सलेक्शन हुआ है, जोकि उनके लिए बहुत ही गर्व की बात है और इसका श्रेय वो अपने क्लब के बच्चों व उनके माता पिता को देते हैं। अब वो अपने क्लब के सभी बच्चों के स्टेमिना बिल्डिंग पर जोर दे रहे हैं। उनका कहना है कि रोलर स्पोर्ट्स में स्पीड जो स्टाइल है उसमें स्टेमिना का बहुत महत्व है। जिसके लिए बच्चों को पर्याप्त अभ्यास की जरूरत है और वो बच्चों के स्टेमिना पर ज़ोर दे रहे हैं।

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राज कहते हैं, “खेलकूद, बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत की लाभदायक है। ये बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाता है। साथ ही उन्हें अनुशासन में रहना सिखाता है। इससे बच्चे जीवन को सकारात्मक रूप से देखते हैं।” वो आगे बताते हैं, “हमारे क्लब में बहुत से बच्चे लगभग 3 साल की उम्र के आते हैं, यहाँ आने के बाद उनकी विशेष रूप से खाने-पीने की आदतों में बहुत बदलाव आता है। हम अपने बच्चों को सिर्फ हेल्दी खाना खाने की सलाह देते हैं।”

ओलम्पिक स्केटिंग चैंपियनशिप

वो दिन की शुरुआत वार्म-अप और जॉगिंग के साथ करवाते हैं उसके बाद कुछ व्यायाम। अपने हर एक बच्चे की कमियों और खूबियों पर नज़र रखने वाले राज का मानना है कि वो हर बच्चे की क्षमता को ध्यान में रखते हुए उसे आगे बढ़ाते हैं। उनका मानना है कि रेस में हार जीत से ज़्यादा ज़रूरी है कि उसका हिस्सा बना जाए। INDRS की महिला कोच भामिनि इस विषय पर कहती हैं कि “बेशक हमारे बच्चे बहुत मेहनत करते हैं मगर इसके पीछे उनके माता पिता का भी अहम किरदार होता है जो हमें नहीं भूलना चाहिए। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कहाँ किसी को फुर्सत है कि अपने कामों के अलावा कोई और काम करे। ऐसे में जो माता-पिता बच्चों के लिए अपनी जीवनशैली को बदल रहे हैं उनके लिए हम बहुत ही आभारी हैं। सुबह 5 बजे से 8 तक बच्चों की प्रैक्टिस, उसके बाद उनका स्कूल, घर के दैनिक कार्य, ऑफिस का काम ये सब इतना सहज नहीं होता। हमारे लिए हमारे बच्चों के साथ उनके माता-पिता भी हीरो हैं।”

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खेल हर किसी के जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है जो प्रतिभागियों को टीम वर्क, समन्वय जैसे विभिन्न गुणों को सीखने में मदद करता है। ये शरीर को मजबूत बनाता है और स्वस्थ रखने में भी मदद करता है। ओलंपिक, एशियाई खेल और ऐसे कई अन्य आयोजन खेल के महत्व के विशिष्ट उदाहरण हैं। इसी कारण से, शिक्षा प्रणाली ने भी स्कूली पाठ्यक्रम में खेलों को उचित महत्व देना शुरू कर दिया है। खेल सुविधाओं का आज बहुत विकास हो गया है। सभी के पास खेल उपकरण के सबसे परिष्कृत और उन्नत रूप तक की पहुंच है। यहां तक ​​की सरकार और कई अन्य संगठन भी खेल के महत्व को सिखाने के लिए जनता तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इसलिए बच्चों में खेल को प्रोत्साहित करना सभी की जिम्मेदारी है जो जानते हैं कि वह अगले नीरज चोपड़ा या मीराबाई चानू हो सकते हैं।

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बता दें कि भारत में स्केटिंग को लेकर लोगों में शुरू से ही असमंजस रहा है। लेकिन बदलते समय के साथ लोगों की सोच में भी परिवर्तन आया है। इसका मुख्य कारण लोगों में जागरूकता की कमी रही है। लेकिन आज की मीडिया और डिजिटल वर्ल्ड ने लोगों को इस खेल के प्रति जागरूक करने का काम किया है। वहीं स्केटिंग मोस्ट एडवेंचर्स खेलों की श्रेणी में आने के कारण बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करता है। जिस वजह से आजकल माता-पिता भी इस खेल के प्रति अपनी रुचि दिखाने लगे हैं। वैसे भी आज के प्रतिस्पर्धी माहौल में हर कोई अपने बच्चे के लिए एक बेहतर भविष्य की कल्पना करता है। इसी का ही परिणाम है कि स्केटिंग आज एक बहुत ही चर्चित स्पोर्ट बना गया है।


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